सोनू कृष्ण तिवारी पुत्र स्व. श्री बालगोविन्द कृष्ण तिवारी
पांच हजार साल पुराना
गांव
गोरखपुर। पांच हजार साल पुराने ऐतिहासिक सोहगौरा गांव के
कौड़ीराम से चार किलोमीटर दूर आमी और राप्ती नदी के संगम पर बसे सोहगौरा गांव में कुछ पुश्तैनी मकान
टूटकर भव्य इमारतों में तब्दील हो गये हैं, गांव की युवा पीढ़ी रोजगार की
तलाश में महानगरों की ओर हो गयी है।
इस अति प्राचीन गांव में अब पहले की तरह वेदमंत्रों की आवाज गूंजती है। बारुदी गंध ने यहां की फिजा
बदल दी है। गैंगवार के चलते यहां अब तक 38 लोगों की जानें जा चुकी हैं, इसीलिए श्री त्रिपा�� ी क्षोभ से भरे
हैं। । यह कहते समय उनका चेहरा गौरवान्वित
रहता है, लेकिन गांव की बदहाली ने उन्हें दुखी कर दिया है।
भारतीय इतिहास अनुसंधान केन्द्र के पूर्व चेयरमैन प्रो. दयानाथ त्रिपा�� ी ने इस गांव में खुदाई करवाकर
यहां की ऐतिहासिकता प्रमाणित की है। प्रो. त्रिपा�� ी के मुताबिक सोहगौरा विश्व का प्राचीनतम ग्राम
है, जो पांच हजार वर्षो से एक ही स्थल पर अपने होने का साक्ष्य प्रस्तुत करता है। इस गांव में खुदाई के
समय चित्रित धूसर मृदभाण्ड, चन्द्रगुप्त मौर्य के समय का ताम्रपत्र, अकाल के समय दुर्भिक्ष को
दान देने का प्रमाण और अन्य कई साक्ष्य मिले हैं।
गोरखपुर।/ सोनू कृष्ण तिवारी पुत्र स्व. श्री बालगोविन्द कृष्ण तिवारी
गोरखपुर। पांच हजार साल पुराने ऐतिहासिक सोहगौरा गांव के
कौड़ीराम से चार किलोमीटर दूर आमी और राप्ती नदी के संगम पर बसे सोहगौरा गांव में कुछ पुश्तैनी मकान
टूटकर भव्य इमारतों में तब्दील हो गये हैं, गांव की युवा पीढ़ी रोजगार की
तलाश में महानगरों की ओर हो गयी है।
इस अति प्राचीन गांव में अब पहले की तरह वेदमंत्रों की आवाज गूंजती है। बारुदी गंध ने यहां की फिजा
बदल दी है। गैंगवार के चलते यहां अब तक 38 लोगों की जानें जा चुकी हैं, इसीलिए श्री त्रिपा�� ी क्षोभ से भरे
हैं। । यह कहते समय उनका चेहरा गौरवान्वित
रहता है, लेकिन गांव की बदहाली ने उन्हें दुखी कर दिया है।
भारतीय इतिहास अनुसंधान केन्द्र के पूर्व चेयरमैन प्रो. दयानाथ त्रिपा�� ी ने इस गांव में खुदाई करवाकर
यहां की ऐतिहासिकता प्रमाणित की है। प्रो. त्रिपा�� ी के मुताबिक सोहगौरा विश्व का प्राचीनतम ग्राम
है, जो पांच हजार वर्षो से एक ही स्थल पर अपने होने का साक्ष्य प्रस्तुत करता है। इस गांव में खुदाई के
समय चित्रित धूसर मृदभाण्ड, चन्द्रगुप्त मौर्य के समय का ताम्रपत्र, अकाल के समय दुर्भिक्ष को
दान देने का प्रमाण और अन्य कई साक्ष्य मिले हैं।
गोरखपुर।/ सोनू कृष्ण तिवारी पुत्र स्व. श्री बालगोविन्द कृष्ण तिवारी
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